RAKHI Saroj

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किताबों का दर्द

किताबों का दर्द


किताबों में बसा है दर्द का संगीत
कोई धुन खोज रही हूं मैं खुद की 
किताबों में बसें प्रेम को बतलाने को
किताबों में बसा है जलते कफ़न में
बंद टूटे सपनों का दर्द किताबों में
बसा है चुप्पी से भरी चीखों का दर्द
किताबों में बंद है लोगों की टूटती
उम्मीदों का दर्द जिन्हें भूल हर कोई 
जी लेता है, किताबों में बसा है 
अधूरे रह चुके पूरे होते ख्वाबों का 
गम किताबों को खींच लाती है
जिंदगी की चाहत कोई समझें ना 
फिर भी किताबों का दर्द। 
           राखी 

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2 Comments

Gunjan Kamal

19-Dec-2022 11:53 AM

बहुत सुंदर

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RAKHI Saroj

19-Dec-2022 06:21 PM

धन्यवाद

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